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मन पराग-केसर कुम्हलाए तुम न आए सुरभित सुमन, गूँज भँवरे की मन में कितने फूल बिछाए आम्र लताएँ, पिक की कुँजन मन में मेरे मोर नचाए रूप-कूक का मौसम जाए तुम ...